दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त
दोस्त मिलता है बहुत मुश्किल से.
वैसे तो बैंगलोर का मौसम हमेशा ही बड़ा मस्त रहता है...पर आजकल बैंगलोर का मौसम कुछ ज्यादा ही मेहरबान है...हलकी बारिश दिन भर होती रहती है और सुबह हलकी ठंड रहती है. आज भी सुबह हलकी सी ठंड थी. उठने में आलस लग रहा था. कम्बल में लेटे लेटे घड़ी देखा तो सुबह के आठ बज रहे थे..सोचा की अब उठ ही जाना चाहिए. मोबाइल साइलेंट मोड में था, जब चेक किया तो देखा बहुत से मेसेज आये हुए हैं. सभी फ्रेंडशिप डे के मेसेज. मैं तो भूल ही गया था कि आज फ्रेंडशिप डे है, सब मेसेज बड़े प्यारे से थे. मुझे कल शाम तक याद था कि आज फ्रेंडशिप डे है, लेकिन कल रात ही मेरा मेसेज पैक खत्म हो गया था इसलिए दोस्तों को मेसेज भी नहीं भेज पाया था और फिर आधी रात तक काम में लगा रहा और भूल गया. लेकिन दोस्तों ने जो जो मेसेज भेजे थे, उन्हें पढ़ते हुए जाने क्या क्या याद आने लगा था..
पटना के बोरिंग रोड इलाके में वो आर्चीस गैलेरी, जहाँ से हम सभी ग्रीटिंग्स कार्ड खरीदते थे. बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करते थे हम फ्रेंडशिप डे का, आखिर ये दिन दोस्ती के नाम होता है और उस ज़माने में हमारे दोस्त भी कम नहीं थे. हाँ, ये मानता हूँ की दसवीं के बाद ही पता चला था कि दोस्ती का कोई दिन भी मुक़र्रर किया गया है, लेकिन जब से पता चला था तब से इस दिन को हम बड़े शौक से मनाते थे, आखिर खुशियाँ मनाना मना कहाँ है? पॉकेट मनी बचा के फ्रेंडशिप डे के कार्ड्स खरीदना, फ्रेंडशिप बैंड खरीदना, हर दोस्त के लिए अलग सा, ख़ास टाइप का फ्रेंडशिप बैंड खरीदना होता था. ये नहीं कि एक कॉमन सा बैंड सब दोस्तों को चिपका दिए. ऐसे में दोस्त आपको हक़ से गरिया भी सकते हैं और आपके कूटे जाने की भी भरपूर संभावनाएं रहती हैं. फ्रेंडशिप डे के एक दो दिन पहले से ही सब लोग आर्चीस गैलेरी के चक्कर काटना शुरू कर देते थे, और यदि लड़कियों से आपकी दोस्ती है तब तो बड़ा संभल के इस दिन खरीदारी करनी होती थी. वरना उनके नखरे और ताने दोनों झेलने पड़ते थे.
दोस्तों की वो छोटी सी पार्टी भी याद है जो हमने अपने कोचिंग क्लास के ऊपर वाले टेरेस पर प्लान किया था. ,२०-२० रूपए सबसे इक्कठा किये गए थे और समोसा कोल्डड्रिंक रसगुल्ले का इंतजाम किया गया था. एक दोस्त ने अपना छोटा टेपरिकॉर्डर भी लाया था, और उस दिन हमारी एक यादगार पार्टी बन गयी थी. घर लौटते हुए देर भी हो गयी थी हमें और हम सारे दोस्तों को दांत भी खूब पड़ी थी.
कुछ बड़े बदतमीज़ लड़कों के कारनामे भी याद हैं. साइकिल से दोस्तों के साथ बोरिंग रोड का चक्कर लगाकर हम लौट रहे थे कि तभी पीछे से दो तीन दोस्त आगे से आती हुई लड़कियों को देखकर चिल्लाने लगे... "हैप्पी फ्रेंडशिप डे". मैं और मेरा एक दोस्त, हम दोनों तो अपनी साइकिल की स्पीड बढ़ा भाग गए थे...ये सोच कर कि अगर लड़कियों ने पिटाई कर दी तो बड़ी बेईज्ज़ती हो जानी है हमारी.
सबसे ख़ास इस दिन को बनता है मेरे दोस्त प्रभात का मुझे हर फ्रेंडशिप डे पे विश करना. ये एक ऐसा नियम सा बन गया है कि हम कितना भी व्यस्त रहे, ये दिन हम दोनों नहीं भूलते हैं. ये दिन हम दोनों के लिए बेहद ख़ास है. मैं तो ये तक मानता हूँ कि अगर प्रभात न विश करे या मैं उसे विश न करूँ तो ये दिन पूरा नहीं होता. कोई मायने नहीं रखता ये दिन.
पिया, दिव्या और शिखा के नखरे भी याद हैं...फ्रेंडशिप डे के कुछ पहले ही इनसे पहली मुलाकात हुई थी, और तीनों ने हुक्म जारी कर दिया था कि उन्हें सबसे स्पेशल तरह का फ्रेंडशिप बैंड मिलना चाहिए. बड़ी मेहनत लगी थी ढूँढने में. लड़कियां तो नखरे दिखा ही रही थी. हमारे दोस्त शेखर भी कुछ कम नहीं थे. उनके हुक्म के मुताबिक फ्रेंडशिप स्पेशल गाने की कैसेट रिकॉर्ड करवा के उसे गिफ्ट देना पड़ा था. किसी खास के लिए प्रभात का दिल धड़कना और लाख कोशिशों के बावजूद उस खास को फ्रेंडशिप डे पे ग्रीटिंग्स कार्ड न दे पाना भी याद है. सुदीप और निहारिका का का प्रेम-इजहार-इकरार, जो इसी दिन हुआ, ये भी याद है. मेरी टूटी फूटी कवितायों से शेखर का प्रिया को इम्प्रेस करना भी इसी दिन हुआ था.
इस दिन हमारी तीन दोस्तों की तिकड़ी भी इकट्ठी होती थी - प्रभात और मैं और मती. मती के घर का वो छोटा सा प्यारा सा कमरा, जहाँ एक कोने पे मती का प्यारा सा बड़ा सा मुजिक सिस्टम रखा होता था और हम उसी मुजिक सिस्टम में गाने सुनते थे, कैसेट रिकॉर्ड करते थे और खूब मस्ती भरी बातें करते थे. वो सब भी याद आ रहा है आज के दिन..
शाम को घर पहुच के दोस्ती के सारे गाने सुनना भी कितना सुकून देता था उन दिनों. एक गाना जो उन दिनों हमारा ख़ास था उसे आज सुबह से सुन रहा हूँ...
पुरानी जीन्स और गिटार
मोहल्ले की वो छत,
और मेरे यार
वो रातों को जागना
सुबह घर जाना, कूद के दीवार
दिये जलते हैं, फूल खिलते हैं
बड़ी मुश्किल से मगर, दुनिया में लोग मिलते हैं
जब जिस वक़्त किसी का,
यार जुदा होता हैं
कुछ ना पूछो यारों दिल का,
हाल बुरा होता है
दिल पे यादों के जैसे, तीर चलते हैं
दौलत और जवानी, एक दिन खो जाती है,
सच कहता हूँ, सारी दुनिया
दुश्मन बन जाती है
उम्र भर दोस्त लेकिन, साथ चलते हैं
इस रँग-धूप पे देखो, हरगिज नाज़ ना करना,
जान भी माँगे, यार तो दे देना, नाराज़ ना करना
रँग उड़ जाते हैं, धूप ढलते हैं
दिये ...
आज सुबह सुबह की ताजा हवा में ये सब गानों, पलों को याद कर के एक खूबसूरत एहसास सा हो रहा है दिल में...थोड़ा दिल उदास है, थोडा तनहा तनहा सा भी...आज पहली बार है कि किसी ने "हैप्पी फ्रेंडशिप डे" कह कर हाथ नहीं मिलाया हमसे..पुराने दोस्तों की बेतरह याद आ रही है आज...
दोस्त, तुम सब बेहद ख़ास थे.. तुम सब बहुत याद आ रहे हो..
दिल चाह्हता है का ये गाना भी जाने कितनी यादों को हवा दे रहा है -
दिल चाहता है
कभी ना बीतें चमकीले दिन
दिल चाहता है
हम ना रहें कभी यारों के बिन
दिन-दिन भर हों प्यारी बातें
झूमें शामें गायें रातें
मस्ती में रहे डूबा-डूबा हमेशा समाँ
हमको राहों में यूँ ही मिलती रहें खुशियाँ
बस दिल कर रहा है तुम सब यहाँ होते तो निकल जाते हम सब ऐसे ही किसी ट्रिप पर...
चलते चलते चंद लाइन जावेद अख्तर साहेब के कलम से..मेरे सारे दोस्तों के लिए,
उन दिनों , जब की तुम थे यहाँ..जिन्दगी जागी जागी सी थी...सारे मौसम बड़े मेहरबान दोस्त थे..रास्ते दावतनामे थे जो मंजिलों ने लिखे थे जमीं पे हमारे लिए.....पेड़ बाहें पसारे खड़े थे हमें छांव की शॉल पहनने के वास्ते.....शाम को सब सितारे बहुत मुस्कुराते थे जब देखते थे हमें...आती जाती हवाएं, कोई गीत खुसबू का गाती हुई, छेडती थी...गुजार जाती थी.....आसमां पे ये नीलम का एक गहरा तालाब था जिसमे हर रात एक चाँद का फूल खिलता था और फिर नीलम की लहरों में बहता हुआ वो हमारे दिलों के किनारों को छु लेता था...उन दिनों जब तुम थे यहाँ :)
काश कि आज मैं पटना में होता, अपने दोस्तों के साथ, फिर से वही दिन, वही पल..वही शाम..वही बातें...वही मस्ती...वही बेफिक्री :)
खैर,
आप सब को..
आज सुबह सुबह की ताजा हवा में ये सब गानों, पलों को याद कर के एक खूबसूरत एहसास सा हो रहा है दिल में...थोड़ा दिल उदास है, थोडा तनहा तनहा सा भी...आज पहली बार है कि किसी ने "हैप्पी फ्रेंडशिप डे" कह कर हाथ नहीं मिलाया हमसे..पुराने दोस्तों की बेतरह याद आ रही है आज...
दोस्त, तुम सब बेहद ख़ास थे.. तुम सब बहुत याद आ रहे हो..
दिल चाह्हता है का ये गाना भी जाने कितनी यादों को हवा दे रहा है -
दिल चाहता है
कभी ना बीतें चमकीले दिन
दिल चाहता है
हम ना रहें कभी यारों के बिन
दिन-दिन भर हों प्यारी बातें
झूमें शामें गायें रातें
मस्ती में रहे डूबा-डूबा हमेशा समाँ
हमको राहों में यूँ ही मिलती रहें खुशियाँ
बस दिल कर रहा है तुम सब यहाँ होते तो निकल जाते हम सब ऐसे ही किसी ट्रिप पर...
चलते चलते चंद लाइन जावेद अख्तर साहेब के कलम से..मेरे सारे दोस्तों के लिए,
उन दिनों , जब की तुम थे यहाँ..जिन्दगी जागी जागी सी थी...सारे मौसम बड़े मेहरबान दोस्त थे..रास्ते दावतनामे थे जो मंजिलों ने लिखे थे जमीं पे हमारे लिए.....पेड़ बाहें पसारे खड़े थे हमें छांव की शॉल पहनने के वास्ते.....शाम को सब सितारे बहुत मुस्कुराते थे जब देखते थे हमें...आती जाती हवाएं, कोई गीत खुसबू का गाती हुई, छेडती थी...गुजार जाती थी.....आसमां पे ये नीलम का एक गहरा तालाब था जिसमे हर रात एक चाँद का फूल खिलता था और फिर नीलम की लहरों में बहता हुआ वो हमारे दिलों के किनारों को छु लेता था...उन दिनों जब तुम थे यहाँ :)
काश कि आज मैं पटना में होता, अपने दोस्तों के साथ, फिर से वही दिन, वही पल..वही शाम..वही बातें...वही मस्ती...वही बेफिक्री :)
खैर,
आप सब को..
दोस्ती का ये दिन बेहद मुबारक..
का बच्चा लाल केतना लोग को का का याद करवा दिए तुम ही दोस्ती दिवस के बहाने ..पटना का बोरिंग रोड , गांधी मैदान , गोल घर , गंगा का तट , संजय गांधी चिडियाघर ...इससे बेहतर पोस्ट दोस्ती दिवस पर और क्या हो सकती थी ......। अब कहां है बांकी दोनों ..
ReplyDeleteHamare bachpan me to ye din nahi manaya jata tha,lekin aapka ye sansmaran padh sakhi saheliyon sang bitaye din yaad aa gaye...jo jane kahan gaye?
ReplyDeleteHappy Friendship Day!
ReplyDeleteजब हम बुढ़ाये हैं तबही ई फ़्रेंडशिप डे मनाना शुरु किये हैं, इसलिये हमारी तो कोई यादें इस विशेष दिन की नहीं हैं, पर ऐसी बहुत सारी घटनाएँ हैं दोस्तों के साथ की जो फ़्रेंडशिप डे से कम भी नहीं हैं।
ReplyDeleteरोटी की मजबूरी इंसान को अपने घर से दूर ले जाती है, जीवन का सत्य है।
मित्रता दिवस की शुभकामनाएँ
का याद दिलाए हो बचवा... हमलोग ग्रीटिंग कार्ड के खिलाफ थे सुरुए से... अऊर ई सब डे नहीं मनाते थे... जब मनाने का मन किया, कभी गंगा के किनारे बईठ गए, नहीं तो पी.एम.सी.एच. के राजेंद्र सर्जिकल ब्लॉक में सरदार जी के कैंटीन में सिंघाड़ा अऊर कॉफी पी लेते थे. आझो एतना उमर होने पर भी हम दुनो दोस्त हर एतवार को फोन करके फ्रेंडशिप डे मनाते हैं... हमरा एकलौता दोस्त!
ReplyDeleteएक किस्सा याद आ गया इसे पढकर.. वो किस्सा सुनो..
ReplyDeleteमेरे क्लास में(BCA में) एक लड़की थी.. शायद मुझसे प्यार भी करती थी.. एक दफे उसे जब कहीं से पता कि मैं किसी और को पसंद करता हूँ तो क्लास में बेहोश हो गई थी.. मुझे भी वो अच्छी लगती थी, मगर सिर्फ एक दोस्त कि तरह.. जिंदगी में सिर्फ एक ही दफे मुझे किसी ने फ्रेंडशिप बैंड बांधा था, वो उसी ने.. इस कहानी को बीते नौ साल बीत गए हैं.. मगर उस बैंड को अब भी संभाल कर रखा हूँ..
so sweet post abhishek !
ReplyDeletehappy friendship Day !
सच में बहुत स्वीट पोस्ट है..प्यारा लगा हर किस्सा :-))
ReplyDeleteवैसे मैं ये सब दिनों में ज्यादा विश्वास नहीं रखती, फिर भी
मित्रता दिवस की शुभकामनाएँ :-)
और वैसे दोनों गाने मुझे पसंद हैं!
सब यादें रह जाती है..सुखद यादें. बढ़िया याद किया मौके पर.
ReplyDeleteमित्रता दिवस की शुभकामनाएँ..
मौसम तो बंगलोर का कातिलाना है ही और उस पर यादों का गुबार, कहाँ बहा कर ले जायेगा, मालूम नहीं।
ReplyDeletehappy friendship day.
ReplyDeleteab toh beet gaya.kal tha but fir bhi friendship day is forever na :)
कितनी बातें याद दिला दी आपने...
ReplyDeleteएक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं!
ReplyDeleteआपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !
ReplyDeleteफ्रैंडशिप डे के बहाने आपके मन के भाव जानने को मिले, बधाई।
…………..
स्टोनहेंज के रहस्यमय पत्थर।
क्या यह एक मुश्किल पहेली है?
khubsurat post..
ReplyDeleteHappy friendship day.
उम्दा पोस्ट.
ReplyDeletehey dear.! happy friendship day :)
ReplyDeletebahut acccha post likha hai aapne aur dil chahte mere bhi favorite movie hai...! and wo gaana mujhe bhi behaad pasand hai.!
:)
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
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