भगवान कभी कभी बड़ा अन्याय करते हैं.पता ही नहीं चलता की किस गलती की सजा दे रहे हैं वो..अब देखिये न..इसे आप गलती ही कहियेगा न की भगवान ने जिंदगी में कुछ दो चार ऐसे लोगों से मिलाया जो हमेशा मेरे पीछे हाथ-पैर धो के पड़े रहते हैं..हमेशा मुझे सताते रहते है..कभी कभी तो बड़ा दिल करता है की ऐसे लोगों की किसी को सुपारी देकर इनका हाथ-पावं तुड़वा दिया जाए जिससे की कुछ अक्ल आये इन्हें.कुल मिलाकर देखूं तो ऐसे मेरे पांच दोस्त हैं जो हर एंगल से नालायक हैं.लेकिन जिन दो खास महानुभाव ने मुझे ये पोस्ट लिखने को मजबूर किया वो हैं...श्री श्री प्रशांत प्रियदर्शी जी और श्रीमती स्तुति पाण्डेय जी.
मैंने जिंदगी में अब तक जितनी बड़ी बड़ी गलतियाँ की हैं उनमे इन दोनों से दोस्ती करने की गलती भी शामिल है...लेकिन मुझे लगता है की इनसे दोस्ती करने में मेरी कुछ खास ज्यादा गलती नहीं थी..दोस्ती करने के वक्त ये बड़े मासूम और भोले से थे..तभी तो इनसे मैंने दोस्ती की..लेकिन जैसे जैसे दिन बीतते गए, इन दोनों के मासूम चेहरे के पीछे छिपे शैतान के दर्शन भी होने लगे.कभी कभी तो मुझे ये शक होता है की शायद ये दोनों ने अपने शैतानी चेहरे को छिपा कर एक शरीफ चेहरे का मुखौटा लगा लिया था.
अब देखिये न, पुरानी एक बात है..पिछले साल अगस्त-सितम्बर की...मैंने स्तुति से बड़े अच्छे से जीटॉक पे कहा था की मेरे लिए कुछ गिफ्ट भेज दो, ओनलाईन ही खरीद कर भेज दो..कुछ भी लेकिन भेज दो(उसने मुझे बर्थडे पे कुछ गिफ्ट नहीं दिया था न)..मेरे ये कहने के कुछ दिन बाद पता है स्तुति मैडम ने मुझे क्या भेजा? देख लीजिए आप खुद ही--
और तो और इसने मेरे साथ प्रशांत को भी ई-मेल कर दिया..प्रशांत तो अब बचपन से ही नालायक है..उसने तुरंत रिप्लाई भी कर दिया -- '"नामांकरण मैं कर देता हूँ "अभिषेकलिंगम" :)"
स्तुति मैडम प्रशांत के इस नामकरण से खुश भी बहुत हो गयीं..और गला फार के चिल्लाने लगी..'हाँ हाँ..बहुत सही..बहुत सही.."
मैं वैसे तो शरीफ हूँ लेकिन ऐसे दोस्तों(असल में दुश्मन) के लिए कभी कभी कुछ गलत शब्दों का इस्तेमाल करना पड़ता है..मैंने गुस्से में जवाब दिया - "कच्चा चबा जाएंगे रे स्तुतिया तुमको...समझी... आयें का??बतावे???. प्रशान्त के साथ मत रहो रे.. तुम्हारा खोपड़ी बहुत डिटोरीअरेट कर गया है..जो बचा है, बचा लो :P"
इसके साथ साथ मैंने प्रशांत को भी चेता दिया था.."परसांत तुम जादा उछलो मत..समझे..तुमरा फोटो को तो एडिट हम करेंगे...और फिर उसका नामकरण करवा लेना स्तुति महरानी से"
अब मैंने तो अपने तरफ से दोनों को अच्छा सा जवाब दे दिया लेकिन स्तुति का नाटक इतने भर से ही तो खत्म नहीं होना था न..वो अजय भईया की चापलूसी करने लगी(उन्हें भी इसने ग्रुप मेल भेजा था).कहने लगी - "देख रहे हैं ना भईया ...कईसे कईसे बोल रहा है ई मुह-झौंसा :-( डाँटीए ना इसको :( [इसी से आप इसके टेढ़ी होने का सबूत पा सकते हैं]
लेकिन अजय भईया ठहरे शरीफ आदमी..अलग बात है की कुछ कुछ टॉपिक पर उनका सुई एक्के जगह अटका रह जाता है(और खास कर मेरे से सम्बंधित एक टॉपिक पर)..लेकिन वो ठहरे दिल के अच्छे तो उन्होंने कुछ जवाब नहीं दिया..तो परेसान बाबु(परसांत बाबु) ही उछल पड़े..कहने लगे --"बट्टा, मेरे फोटो को बीच में मत घसीटना.. नहीं तो हम ऐसा एडिट करेंगे कि कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगे.. :P" [ये परसांत का ओरिजनल रूप है जो बहुत लोगों से छिपा हुआ है]
स्तुति में कभी कभी..बहुत कम समय के लिए(क्षणिक कह सकते हैं), एक अच्छा इंसान देखने को मिलता है और यही वो समय होता है जब वो थोडा बहुत मेरे पक्ष में कुछ कहती भी है..प्रशांत के उस कमेन्ट के बाद स्तुति ने प्रशांत को जवाब दिया --"ई बात? रहो रहो...तुम्हारा फोटो तो खोज के किसी पे साटेंगे, अरे अभिषेक...सजेसन दो रे की काची पे साटें इसका फोटो :-X"
अब स्तुति मेरे साईड से बोली तो मेरा तो दिल भर आया(आंसू भी टपक पड़े एक दो)..तो मैंने भी अच्छा सा जवाब दिया उसे --रुको न रे..अभी तो ऑफिस में हैं...आज दिन भर सोचते हैं और फिर बताएँगे की किसपर साटो..वैसे तुम भी दिमाग चलाओ रे स्तुति...हम भी दिमाग दौड़ा रहे हैं...परसांतवा का तो बैंड बजा देंगे दुन्नु"
अब प्रशांत अपने असली रूप के चरम पर पहुँच चूका था...कहने लगा -"इस मामले में स्तुति को हम नहीं बोलेंगे कुच्छो.. लेकिन अभिषेक कुच्छो किया तो बर्बाद कर देंगे उसको.. :)"..मैंने जब पूछा की तुमको मेरे से क्या दुश्मनी है रे..स्तुति ही तो शुरू की है..तो एकदम झेलू टाईप का पथेटिक जवाब दिया उसने --"उसको लड़की होने का बेनिफिट मिल रहा है, जो तुमको नहीं मिलेगा.. :P"
स्तुति शायद इस जवाब से इतनी खुश हो गयी की उसने फिर आगे कुछ लिखा ही नहीं...प्रशांत को मैंने अच्छा ख़ासा सुनाया भी...लेकिन इसने भी कुछ जवाब नहीं दिया..शायद उसे एकाएक ये बात याद आ गयी हो की मैं जब भी चाहूँ जिस वक्त भी..उसके होश ठिकाने ला सकता हूँ...यहाँ मैं ये बता दूँ की कभी कभी वो मेरे से बेहद डरता भी है, ये उसने खुद कुबूल किया था एक दिन, तो मैंने उसे ये कह के सान्तवना दिया की घबराओ मत..तुम्हारे ऊपर हम कभी अपना गुस्सा नहीं निकालेंगे..एक तरह से ये एक वचन दिया था मैंने उसे...जो की लगता है अब तोडना पड़ेगा मुझे, क्यूंकि उसकी कुछ हरकते अब बद से बद्दतर होते जा रहीं हैं..
कभी कभी ये दोनों मिलकर आपस में सेटिंग कर लेते हैं और मेरे पे एकसाथ एटैक करते हैं...पिछले दो तीन दिनों से यही हो रहा है..फेसबुक पर पुराने बड़े शायरों की इतनी अच्छी शायरी और नज़्म मैं शेयर करता हूँ लेकिन ये दोनों वहाँ अपनी रंगत दिखाने पहुँच ही जाते हैं..और फिर शुरू होता है इन दोनों का अन-टोलरेबल बकवास..
परसों शाम में मैंने जिगर साहब की एक खूबसूरत शायरी लिखी थी अपने स्टेट्स में..इतनी अच्छी शायरी पे स्तुति ने एकदम जबरदस्त झेलू किस्म का कमेन्ट लिखा(जिसे अगर जिगर साहब ऊपर से देखें अगर तो आसमान से कूद कर खुदकुशी कर लें).स्तुति के उस बेतुके कमेन्ट के बाद शुरू हुआ प्रशांत के बकवास कमेंटों का सिलसिला....जो की पुरे तरह से मेरे पे केंद्रित था.ये बताना यहाँ जरूरी नहीं की कमेन्ट में क्या बातचीत हुई, क्यूंकि इन दोनों की तरह ही वो सारी बातें बेकार और फ़ालतू थी.
ये दोनों तो पागल हैं जो ऐसे पागलपन के कमेन्ट करते रहते हैं ..लेकिन कुछ वैसे लोग जो थोडा समझदार हैं और हम लोगों से बड़े भी वो भी इन दोनों के बातों में कैसे आ जाते हैं, मुझे बेहद आश्चर्य होता है.मैं बात कर रहा हूँ शिवम भईया की..वैसे तो ये बहुत समझदार हैं लेकिन कभी कभी स्तुति और प्रशांत के चक्कर में आकार ये अपना दिमाग इस्तेमाल करना भूल जाते हैं और उनके साथ हो लेते हैं..ऐसे में मेरे एकमात्र रक्षक बचते हैं अजय भईया..लेकिन उनका तो सुई हमेशा एक्के टॉपिक पे अटकल रहता है(वैसे परसों उन्होंने वादा किया था की वो अब से मेरे साईड ही रहेंगे..है न भईया?)
ये तो बात थी परसों की..अभी कल ही मैंने एक स्टेट्स डाला और उसपर सीधा निशाना साधा प्रशांत ने..मुझे लगा की चलो इससे जल्दी ही निपट जायेंगे और भगा देंगे...लेकिन पीछे पीछे दौड़ते भागते स्तुति भी पहुँच गयी...ये गाना गाते.."तुमने पुकारा और हम चले आये..नमक हथेली पे ले आयें रे(मेरे ज़ख्मों पे लगाने के लिए)".इस बार तो शिखा दीदी ने भी उन दोनों का बढ़ चढ के साथ दिया...जिसकी मुझे बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी..वो जेनराली मेरे तरफ ही रहती हैं(एक्के दुक्के मजाक को छोड़कर), लेकिन कल पता नहीं उन्हें भी क्या हो गया था(मैं ये मान कर चल रहा हूँ की प्रशांत और स्तुति ने उन्हें कोई रिश्वत वैगरह दिया होगा)..
इन दोनों के इमोशनल अत्याचारों से तंग आकार मैं ये पोस्ट लिखने पर मजबूर हो गया हूँ.एक और कारण था, की प्रशांत भी ऐसे ही किसी पोस्ट की तय्यारी में लगा हुआ है..तो मुझे लगा की आप लोगों के सामने प्रशांत का गलत-सलत वर्जन आये, इससे पहले मैं ही सही सही बात और प्रशांत के असली चरित्र से आपको परिचित करवा दूँ..
दिल की भड़ास लेकिन इतना भर लिखने से ही खत्म नहीं हुई..बहुत संभावनाएं हैं की अगली पोस्ट में भी दोनों के मासूम-शरीफ चेहरे के पीछे छिपे शैतान को और अच्छे से सामने लाऊं, लेकिन अगर प्रशांत और स्तुति चाहें तो मुझसे बात कर के मामले को यहीं खत्म कर सकते हैं(On my terms and conditions)
मैंने जिंदगी में अब तक जितनी बड़ी बड़ी गलतियाँ की हैं उनमे इन दोनों से दोस्ती करने की गलती भी शामिल है...लेकिन मुझे लगता है की इनसे दोस्ती करने में मेरी कुछ खास ज्यादा गलती नहीं थी..दोस्ती करने के वक्त ये बड़े मासूम और भोले से थे..तभी तो इनसे मैंने दोस्ती की..लेकिन जैसे जैसे दिन बीतते गए, इन दोनों के मासूम चेहरे के पीछे छिपे शैतान के दर्शन भी होने लगे.कभी कभी तो मुझे ये शक होता है की शायद ये दोनों ने अपने शैतानी चेहरे को छिपा कर एक शरीफ चेहरे का मुखौटा लगा लिया था.
अब देखिये न, पुरानी एक बात है..पिछले साल अगस्त-सितम्बर की...मैंने स्तुति से बड़े अच्छे से जीटॉक पे कहा था की मेरे लिए कुछ गिफ्ट भेज दो, ओनलाईन ही खरीद कर भेज दो..कुछ भी लेकिन भेज दो(उसने मुझे बर्थडे पे कुछ गिफ्ट नहीं दिया था न)..मेरे ये कहने के कुछ दिन बाद पता है स्तुति मैडम ने मुझे क्या भेजा? देख लीजिए आप खुद ही--
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स्तुति ने बड़े बेशर्मी से लिखा था--'देखिये..देखिये :P' |
और तो और इसने मेरे साथ प्रशांत को भी ई-मेल कर दिया..प्रशांत तो अब बचपन से ही नालायक है..उसने तुरंत रिप्लाई भी कर दिया -- '"नामांकरण मैं कर देता हूँ "अभिषेकलिंगम" :)"
स्तुति मैडम प्रशांत के इस नामकरण से खुश भी बहुत हो गयीं..और गला फार के चिल्लाने लगी..'हाँ हाँ..बहुत सही..बहुत सही.."
मैं वैसे तो शरीफ हूँ लेकिन ऐसे दोस्तों(असल में दुश्मन) के लिए कभी कभी कुछ गलत शब्दों का इस्तेमाल करना पड़ता है..मैंने गुस्से में जवाब दिया - "कच्चा चबा जाएंगे रे स्तुतिया तुमको...समझी... आयें का??बतावे???. प्रशान्त के साथ मत रहो रे.. तुम्हारा खोपड़ी बहुत डिटोरीअरेट कर गया है..जो बचा है, बचा लो :P"
इसके साथ साथ मैंने प्रशांत को भी चेता दिया था.."परसांत तुम जादा उछलो मत..समझे..तुमरा फोटो को तो एडिट हम करेंगे...और फिर उसका नामकरण करवा लेना स्तुति महरानी से"
अब मैंने तो अपने तरफ से दोनों को अच्छा सा जवाब दे दिया लेकिन स्तुति का नाटक इतने भर से ही तो खत्म नहीं होना था न..वो अजय भईया की चापलूसी करने लगी(उन्हें भी इसने ग्रुप मेल भेजा था).कहने लगी - "देख रहे हैं ना भईया ...कईसे कईसे बोल रहा है ई मुह-झौंसा :-( डाँटीए ना इसको :( [इसी से आप इसके टेढ़ी होने का सबूत पा सकते हैं]
लेकिन अजय भईया ठहरे शरीफ आदमी..अलग बात है की कुछ कुछ टॉपिक पर उनका सुई एक्के जगह अटका रह जाता है(और खास कर मेरे से सम्बंधित एक टॉपिक पर)..लेकिन वो ठहरे दिल के अच्छे तो उन्होंने कुछ जवाब नहीं दिया..तो परेसान बाबु(परसांत बाबु) ही उछल पड़े..कहने लगे --"बट्टा, मेरे फोटो को बीच में मत घसीटना.. नहीं तो हम ऐसा एडिट करेंगे कि कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगे.. :P" [ये परसांत का ओरिजनल रूप है जो बहुत लोगों से छिपा हुआ है]
स्तुति में कभी कभी..बहुत कम समय के लिए(क्षणिक कह सकते हैं), एक अच्छा इंसान देखने को मिलता है और यही वो समय होता है जब वो थोडा बहुत मेरे पक्ष में कुछ कहती भी है..प्रशांत के उस कमेन्ट के बाद स्तुति ने प्रशांत को जवाब दिया --"ई बात? रहो रहो...तुम्हारा फोटो तो खोज के किसी पे साटेंगे, अरे अभिषेक...सजेसन दो रे की काची पे साटें इसका फोटो :-X"
अब स्तुति मेरे साईड से बोली तो मेरा तो दिल भर आया(आंसू भी टपक पड़े एक दो)..तो मैंने भी अच्छा सा जवाब दिया उसे --रुको न रे..अभी तो ऑफिस में हैं...आज दिन भर सोचते हैं और फिर बताएँगे की किसपर साटो..वैसे तुम भी दिमाग चलाओ रे स्तुति...हम भी दिमाग दौड़ा रहे हैं...परसांतवा का तो बैंड बजा देंगे दुन्नु"
अब प्रशांत अपने असली रूप के चरम पर पहुँच चूका था...कहने लगा -"इस मामले में स्तुति को हम नहीं बोलेंगे कुच्छो.. लेकिन अभिषेक कुच्छो किया तो बर्बाद कर देंगे उसको.. :)"..मैंने जब पूछा की तुमको मेरे से क्या दुश्मनी है रे..स्तुति ही तो शुरू की है..तो एकदम झेलू टाईप का पथेटिक जवाब दिया उसने --"उसको लड़की होने का बेनिफिट मिल रहा है, जो तुमको नहीं मिलेगा.. :P"
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इसके मासूम शकल पर मत जाईये.. |
कभी कभी ये दोनों मिलकर आपस में सेटिंग कर लेते हैं और मेरे पे एकसाथ एटैक करते हैं...पिछले दो तीन दिनों से यही हो रहा है..फेसबुक पर पुराने बड़े शायरों की इतनी अच्छी शायरी और नज़्म मैं शेयर करता हूँ लेकिन ये दोनों वहाँ अपनी रंगत दिखाने पहुँच ही जाते हैं..और फिर शुरू होता है इन दोनों का अन-टोलरेबल बकवास..
परसों शाम में मैंने जिगर साहब की एक खूबसूरत शायरी लिखी थी अपने स्टेट्स में..इतनी अच्छी शायरी पे स्तुति ने एकदम जबरदस्त झेलू किस्म का कमेन्ट लिखा(जिसे अगर जिगर साहब ऊपर से देखें अगर तो आसमान से कूद कर खुदकुशी कर लें).स्तुति के उस बेतुके कमेन्ट के बाद शुरू हुआ प्रशांत के बकवास कमेंटों का सिलसिला....जो की पुरे तरह से मेरे पे केंद्रित था.ये बताना यहाँ जरूरी नहीं की कमेन्ट में क्या बातचीत हुई, क्यूंकि इन दोनों की तरह ही वो सारी बातें बेकार और फ़ालतू थी.
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अंदर छिपा हुआ है एक शैतान इसमें |
ये तो बात थी परसों की..अभी कल ही मैंने एक स्टेट्स डाला और उसपर सीधा निशाना साधा प्रशांत ने..मुझे लगा की चलो इससे जल्दी ही निपट जायेंगे और भगा देंगे...लेकिन पीछे पीछे दौड़ते भागते स्तुति भी पहुँच गयी...ये गाना गाते.."तुमने पुकारा और हम चले आये..नमक हथेली पे ले आयें रे(मेरे ज़ख्मों पे लगाने के लिए)".इस बार तो शिखा दीदी ने भी उन दोनों का बढ़ चढ के साथ दिया...जिसकी मुझे बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी..वो जेनराली मेरे तरफ ही रहती हैं(एक्के दुक्के मजाक को छोड़कर), लेकिन कल पता नहीं उन्हें भी क्या हो गया था(मैं ये मान कर चल रहा हूँ की प्रशांत और स्तुति ने उन्हें कोई रिश्वत वैगरह दिया होगा)..
इन दोनों के इमोशनल अत्याचारों से तंग आकार मैं ये पोस्ट लिखने पर मजबूर हो गया हूँ.एक और कारण था, की प्रशांत भी ऐसे ही किसी पोस्ट की तय्यारी में लगा हुआ है..तो मुझे लगा की आप लोगों के सामने प्रशांत का गलत-सलत वर्जन आये, इससे पहले मैं ही सही सही बात और प्रशांत के असली चरित्र से आपको परिचित करवा दूँ..
दिल की भड़ास लेकिन इतना भर लिखने से ही खत्म नहीं हुई..बहुत संभावनाएं हैं की अगली पोस्ट में भी दोनों के मासूम-शरीफ चेहरे के पीछे छिपे शैतान को और अच्छे से सामने लाऊं, लेकिन अगर प्रशांत और स्तुति चाहें तो मुझसे बात कर के मामले को यहीं खत्म कर सकते हैं(On my terms and conditions)
लिख लिए रे अभिषेकलिंगम? अब बस तैयार रहो.. :P
ReplyDeleteहा हा हा जियोह्ह च्चाब्बास हमारे गोलगप्पा । केतना टार्चरियाना टाईप फ़ील किए तुम हम समझ रहे हैं बराबर से । अबे लेकिन मेन बतवा गोल कर गिए । अबरि चचा तुम्हरे बियाह का डेट फ़ायनल किए कि नय रे ।
ReplyDeleteघनघोर पोस्ट बनाए हो बेट्टा । आओ इसका सीक्वेल तैयार कराते हैं फ़ेसबुक पे हा हा हा
गाँव वालों, उस पोस्ट का लिंक भी देखिये और पढ़िए और खुद तय कीजिये कि कौन असली 'मेमने के खाल में छिपा भेडिया है'
ReplyDeletehttps://www.facebook.com/cseabhi/posts/10150465292669550?cmntid=10150465352314550
दोस्त, अब तुम्हारे ब्लॉग को भी फेसबुक बना देंगे तभी मानोगे.. है ना? :D
ReplyDeleteहा हा ...बिलकुल. एतना कमेन्ट करेंगे कि ब्लोग्वा बड़ाम् करके फूट जाएगा :D
ReplyDeleteअभिषेक भाई, अपने ब्लॉग का नाम तहलका टाईप कुछ रख लीजिये, सही एक्सपोज किये हैं...
ReplyDeleteई ससुर परशान्तवा ऐतना बडा वाला दुष्ट है आज ही पता चला। अब समझ में आया इसका बियाह काहे नहीं हो रा ऐ।
ReplyDeleteसुधर जाओ नौटंकी परशान्त नहीं तो अभिषेकवा को गुस्सा आया, गुस्सा आया, तो एक और पोस्ट लिख मारेगा कीबोर्ड से ;)
लोल्ज़ मुझे तो पहले हंस लेने दो ..फिर कुछ कहूँगी...हा हा हा .वैसे अच्छा किया जो सब कच्चा चिटठा खोल दिया...बताओ.मुझे भी रिश्वत नहीं दी इन लोगों ने.
ReplyDeleteभईया अभिषेक ... सच कहते है अब दोबारा कभी तुम लोगो के बीच में नहीं बोलेंगे ... देर से ही सही अक्ल आ गया है !
ReplyDeleteहे हे हे...... एकदम मस्तों टाइप वाला पोस्ट लिखा है। इससे ये बात तो साफ जाहिर है जब भी तुम कुढ़ता रहता है तो ये लाजवाब पोस्ट पढ़ने को मिलता है॥ स्तुति पिरसांत क्या सभी को तुमको ऐसे ही तंग करते रहना चाहिए..... वैसे फिलहाल तुम गोलगप्पा को पॉंन्डस वाला गूगली वूगली वुश वुश (हमारा हाथ लोहे का है समझे ना, ज्यादा खुश मत हो।)...... ऐसे ही लिखते रहो...
ReplyDeleteमस्त नौटंकी
ReplyDeleteचलो मेरा लिखना तो सफल हुआ...नीरज भाई को असलियत तो पता चला :P
ReplyDeleteस्तुति..हम तो एकदम जानते थे की तुम दोनों में से कोई तो जरूर उस स्टेट्स का लिंक देगा...देखो तुम दोनों पर मेरा कितना विश्वास है और कितना सही :P
चलिए expose करने के बहाने आपने यह पोस्ट लिखी..., अच्छा लगा आप मित्रों की बातचीत को पढ़ना... और ये हँसना खिलखिलाना:)
ReplyDeletebetween, the link given by stuti ji gave me the opportunity to send u frnd request in facebook:) Thanks to her!
keep creating such beautiful smiles... afterall, friends are so precious!!!
Naya saal bahut mubarak ho!
ReplyDeleteअब क्या कहा जाये, प्रशांत तो बहुत ही सीधा लड़का लगा था...
ReplyDeleteस्तुति, प्रशांत, अभिषेक एंड कम्पनी को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteतुमरा दोस्त(दुश्मन!) सब भी तुमरे टाइप लोग है रे...इसलिए बुराई करने से कौनो फायदा नहीं है...वैसे अच्छा हुआ चेता दिए परसांत से हम कितने दिन से मिलने का पिलान बना रहे हैं बंगलौर में...कभी कुछो फाइनले नहीं हो पाता है...अब तो बच के रहेंगे रे बाबा!
ReplyDeleteहे भगवान !!! इतनी मज़ेदार पोस्ट लिख कर तुमने हँसा-हँसा कर मार डाला...। हम तुमका कहे रहे कि अब कौनो पोस्ट लिखिओ, तो बतैयो जरूर...पर तुम्हऊ न...! हमें हँसे का कौनो मौका नाही देत हो...। ख़ैर...! शिकायत नहीं...ऐसे ही लिखते रहो, हँसते-हँसाते रहो...। और हाँ, तुम्हारी साइड तो हम पर्मानैण्टली हैं ही...।
ReplyDeleteim glad tht u've got such friendz ..! :)
ReplyDeleteआ हा हा हा हा
ReplyDeleteहो ह हाहा हा हा हा :)
ए सुन ना, आ हा हा हा हा हा हा हा हा
अबे ई हंसी काहे दो रुकिए नय रहा है रे..... हा हा
मस्त लेखा है अभिशेकवा, जीयो मेरे शेर.... शाब्बाश.... दिल खुश और फेफड़ा उदास हो गया हंसते-हंसते...